शनिवार, 27 जून 2015

बुरा भला: जमशेदजी टाटा की पुण्यतिथि पर विशेष

बुरा भला: जमशेदजी टाटा की पुण्यतिथि पर विशेष: जमशेदजी टाटा (३ मार्च, १८३९ - १९ मई, १९०४) भारत के महान उद्योगपति तथा विश्वप्रसिद्ध औद्योगिक घराने टाटा समूह के संस्थापक थे। आरम...

बुरा भला: स्व॰ डॉ. हेडगेवार जी की ७५ वीं पुण्यतिथि

बुरा भला: स्व॰ डॉ. हेडगेवार जी की ७५ वीं पुण्यतिथि: केशवराव बलिराम हेडगेवार ( जन्म : १ अप्रैल १८८९ - मृत्यु : २१ जून १९४०) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक एवं प्रकाण्ड क्रान्त...

शनिवार, 13 जून 2015

ई- गवर्नेंस : सरकारी सेवायें आपके घर पर

ई- गवर्नेंस : सरकारी सेवायें आपके घर पर: अब दिन लद गये जब कोई सरकारी काम कराने को दफ्तरो के चक्कर लगाते-लगाते चप्पल जूते घिस जाया करते थे। ...

Court-Kacheharee Aur Kanoon-कोर्ट-कचेहरी और कानून: भारत में फलता-फूलता मुकदमेबाजी उद्योग

Court-Kacheharee Aur Kanoon-कोर्ट-कचेहरी और कानून: भारत में फलता-फूलता मुकदमेबाजी उद्योग: इतिहास में ऐसा कोई उदाहरण नहीं मिलता, जिसमें व्यापारी वर्ग को किसी शासन व्यवस्था से कभी कोई शिकायत रही हो, क्योंकि वे पैसे की शक्ति को...

सोमवार, 8 जून 2015

आसमानी बिजली कैसे बनती है?

आसमानी बिजली कैसे बनती है?
झारखण्ड बंद के मद्देनजर हर चौक चौराहे पर पुलिस की ड्यूटी लगी थी ऐसा ही हमारे आदित्यपुर चौक का भी हाल था, हम अपने दोस्तों के साथ गप्पे लड़ा रहे थे तभी एक बुजुर्ग अपने स्कूटर से गिर पड़े हम जब तक उनकी मदद को आगे बढ़ते उससे पहले हीं चार पुलिसकर्मी उनके सहायता को दौर पड़े उन्हों ने बुगुर्ग को आदरपूर्वक सड़क से किनारे लाया उन्हें सहारा दिया उनका स्कूटर स्टार्ट करवाया, पुलिस वालो को इतना करते देख हमें भी बड़ा अच्छा लगा और हम इनकी प्रशंसा करने लगे इसी बिच हमारे एक मित्र ने बताया की उसके करीबी पहचान के एक पुलिस इंस्पेक्टर हैं जिनकी काफी बोल्ड छवी है उन्हों ने अपने बैठक में अपनी दो तस्वीरे लगा रक्खी है एक तस्वीर तब की है जब उन्हों ने बिभाग को ज्वाइन किया था और दूसरी हाल ही की है
एक दिन मेरा मित्र देर शाम को उनके घर पहुंचा इंस्पेक्टर साहब घर पर ही थे और थोड़ी चढ़ा रखी थी, उन्होंने उसे बैठक में बैठाया हाल चाल पूछा और इधर उधर की बाते करने लगे बातचीत के क्रम में मेरे मित्र ने उनका ध्यान उनके तस्वीरों की ओर दिलाते हुए कहा की पुराने तस्वीर में आपकी क्या स्मार्टनेस और मासूमियत दिखती थी और अभी वाले में खूब रौब झलकता है साहब ने कहा ठीक कहते हो ये बेचारा नया इंस्पेक्टर था जिसने सर्विस ज्वाइन करते वक़्त कसम खाया थे की किसी के साथ अन्याय नहीं होने दूंगा सबको आदर सम्मान दूंगा रिश्वत नही लूँगा किसी  के दबाव में गलत नहीं करूँगा, और दूसरी तस्वीर उस कमीने इंस्पेक्टर की है जो ज्यादातर गलत ही करता है जो बिना पैसे के किसी बात को जल्द नहीं सुनता इसे हर हाल में पैसा चाहिए चाहे अपना घर गिरवी रख के दो इसे अपने अधिकारियो को भी तो देना पड़ता है हर वक़्त दबाव रहता है नेता या अधिकारियों का ज्यादातर गलत करने का ही पैरवी आता है बिनम्रता किसे कहते है भूल गया तभी तो लोगो में खौफ घरता है,

बात तो थी ऐसे ही आईगई वाली लेकिन एक कड़क पुलिस वाले की लाचारी दिखी पता नहीं उनसे संवेदना रखूं या उनके मौजूदा कार्यकलापो के लिये अन्य पुलिसवालों की तरह इनसे भी नफरत करूँ 

एयरकंडीशन ट्रेन से लोकल ट्रेन तक का सफ़र

खुबसुरत नजारों मे जि भर के घुमने के बाद हम देर से न्यू जलपाईगुड़ी पहुँचे पता चला की हमारा ट्रेन छुट चूका है, हमने बहुत प्रयास किया की हमें किसी दुसरे ट्रेन में जगह मिल जाये पर ऐसा नहीं हो सका, घर पहुंचने की जल्दी हम सबको थी इतने में हमारे साथी अजित जी ने पता किया की अभी से कोलकोता के लिये बस मिल सकती है जो सुबह तक हमे वहां पंहुचा देगी, हम सब ने आगे का सफ़र बस से तय करने का फैसला किया और यही से हमारा सफ़र suffer बन गया । एक तो बस बिलकुल ही ख़राब हालत में थी बैठने में कही से कोई आराम न था लेकिन मज़बूरी में हमसब करते भी क्या ? रात का सफ़र था ट्रैफिक कम थी लेकिन रास्ता ख़राब था बस उठा पटक करते हुए चले जा रही थी आगे इस्लामपुर में जाम लगी हुई थी लोगो ने बिजली के लिये रास्ता रोक रक्खा था, दो घंटे के बाद जाम खुली बस आगे बढ़ी रात के एक बजे बस एक ढाबे पर रुकी भूख से हम सबका बुरा हाल था जो भी रुखा सुख मिला हमसब ने थोडा बहुत खया फिर बस पर सवार हुए बस आगे को चल पड़ी, बस सुबह के चार बजे फरक्का से पहले ख़राब हो गई हम बस के बनने का इंतजार करते रहें, सुबह के आठ बज गये तब ड्राइबर ने बताया की अभी बस को ठीक होने में और भि समय लगेगा । कोलकता के लिये अभी आधा रास्ता तय करना बाकि था और धुप निकल चूका था हमें आने वाली परेसानियों का अंदाजा होने लगा था सो हमने फैसला किया की आगे का रास्ता ट्रेन से तय कर लिया जाये, हमने किसी तरह एक टाटा मैजिक वाले को फरक्का स्टेसन तक पहुँचाने को राजी किया हम फरक्का रेलवे स्टेसन पहुँच गए ज्यादा देर इंतजार नहीं करना पड़ा हमें इंटरसिटी एक्सप्रेस मिल गया हम ट्रेन में चढ़ गए हमें उम्मीद थी की हम दोपहर तक कोलकोता पहुँच जाएँगे हम अपने फैसले पर खुश थे लेकिन ट्रेन नबोद्विप स्टेसन पर पहुँच कर रुक गई, पता करने पर पता चला की अगले स्टेसन पर गोली बम चल रहा है लोग पटरियों पर जमा है दंगा हो रहा है, थोड़ी ही देर में रेलवे द्वारा घोषणा कर दी गई की यह ट्रेन आगे नहीं जायेगी वापस मालदा चले जायेगी । स्टेसन् के बाहर अफरा तफरी का माहौल था हमारे साथ बच्चे और महिलाये थी एक तो अंजान जगह फिर दंगा और ज्यादा भड़क न जाये इस लिये हमें भी चिंता होने लगी लोग पुलिस और सरकार को गालियाँ बक रहे थे । खैर हमने बड़े प्रयास और मिन्नतों के बाद ज्यादा भाड़ा का लालच दे कर दो मारुती वैन वाले को कृष्नानगर स्टेसन तक पहुँचाने को राजी कर लिया, हमने अपना सामान वैन पर लादा और स्टेसन के और निकल पड़े रस्ते में एक बहुत बड़े निर्माण पर नजर पड़ी पूछने पर ड्राइवर ने बताया की यह इस्कॉन द्वारा खरबों की लागत से बनाया जा रहा मंदिर है जिसके उद्घाटन में बराक ओबाबा आने वाले है । हम कृष्नानगर रेलवे स्टेसन पहुँच गए वहां से लोकल ट्रेन थोड़े थोड़े अंतराल में उपलब्ध् थी लेकिन किसी भी ट्रेन में तिल रखने को भी जगह नहीं थी शाम होने को हो चला था हम सबकी हालात बिगड़ने लगी थी, हमने कोई और दूसरा चारा न देख कर लोकल से ही कोलकता पहुँचने का फैसला किया और लोकल ट्रेन में धक्का मुक्की कर सवार हो गए कही कोई सिट खाली नहीं थी हमारे एक मित्र की डेढ़ साल की बच्ची रोये जा रही थी मैंने उसके लिये एक युवक के सिट छोड़ने का आग्रह किया तो उसने मना कर दिया, बाद में खुद ही एक सज्जन ने अपना सिट हमें दे दिया हम सब अपने परिवार के साथ भीड़ में सफ़र कर रहे थे जब भी कोई सिट खाली होती हम उसे लूट कर बैठ जाते । ट्रेन की सबसे खास बात थी हर मिनट भीड़ को चिड़ता कोई फेरी वाला बड़े मजे में अपना समान बेंचने को आता था और लोग उसे इंटरटेन भी कर रहे थे । ट्रेन जब भी किसी आउटर पर रूकती तो हम डर जाते की फिर कुछ तो नहीं हुआ खैर ट्रेन देर से ही सही सियालदह स्टेसन पहुँच गई और हमारे जान में जान आई, फिर हम टेक्सी कर हावड़ा स्टेसन पहुंचे और वहां से ट्रेन द्वारा अपने शहर को पहुंचे । इस सफ़र का अंत बड़ा ही कस्टकर रहा लेकिन हम सभी के बच्चों और परिवार का साथ और सकुशल घरवापसी ने सब कुछ भुला दिया.....

देवत्वं

देवत्व क्या है ?????
मेरे अन्दर की अच्छाई आपके अंदर की अच्छाई हम सब के अन्दर की अच्छाई.....
पर सब के अन्दर की सच्चाई क्या है ?????
देवत्व क्यों ??????
हम सही रास्ते पर चले ,जीवन में हमें दुःख न हो, भय के वक़्त हमें सहारा मिले, बिपति न आये आये तो जल्द टल जाये.......

और इतना कुछ मिले पर कोई अहसान न जताए  !!
सोचिये अगर इस्वर का हमारे जीवन में सीधा हस्तछेप हो जाये तो, अगर वो बुरे कर्मो के लिए फटकारने लगे या फिर जज की भूमिका अदा करने लगे तो ......
मेरी समझ से इस्वर का निराकार होना ही उनकी स्वीकार्यता का सबसे बड़ा कारन है ।