खुबसुरत नजारों
मे जि भर के घुमने के बाद हम देर से न्यू जलपाईगुड़ी पहुँचे पता चला की हमारा ट्रेन
छुट चूका है, हमने बहुत प्रयास किया की हमें किसी दुसरे ट्रेन में जगह मिल जाये पर
ऐसा नहीं हो सका, घर पहुंचने की जल्दी हम सबको थी इतने में हमारे साथी अजित जी ने पता
किया की अभी से कोलकोता के लिये बस मिल सकती है जो सुबह तक हमे वहां पंहुचा देगी,
हम सब ने आगे का सफ़र बस से तय करने का फैसला किया और यही से हमारा सफ़र suffer बन गया । एक तो बस बिलकुल ही ख़राब हालत में थी बैठने में
कही से कोई आराम न था लेकिन मज़बूरी में हमसब करते भी क्या ? रात का सफ़र था ट्रैफिक
कम थी लेकिन रास्ता ख़राब था बस उठा पटक करते हुए चले जा रही थी आगे इस्लामपुर में
जाम लगी हुई थी लोगो ने बिजली के लिये रास्ता रोक रक्खा था, दो घंटे के बाद जाम
खुली बस आगे बढ़ी रात के एक बजे बस एक ढाबे पर रुकी भूख से हम सबका बुरा हाल था जो
भी रुखा सुख मिला हमसब ने थोडा बहुत खया फिर बस पर सवार हुए बस आगे को चल पड़ी, बस
सुबह के चार बजे फरक्का से पहले ख़राब हो गई हम बस के बनने का इंतजार करते रहें,
सुबह के आठ बज गये तब ड्राइबर ने बताया की अभी बस को ठीक होने में और भि समय लगेगा
। कोलकता के लिये अभी आधा रास्ता तय करना बाकि था और धुप निकल चूका था हमें आने
वाली परेसानियों का अंदाजा होने लगा था सो हमने फैसला किया की आगे का रास्ता ट्रेन
से तय कर लिया जाये, हमने किसी तरह एक टाटा मैजिक वाले को फरक्का स्टेसन तक
पहुँचाने को राजी किया हम फरक्का रेलवे स्टेसन पहुँच गए ज्यादा देर इंतजार नहीं
करना पड़ा हमें इंटरसिटी एक्सप्रेस मिल गया हम ट्रेन में चढ़ गए हमें उम्मीद थी की
हम दोपहर तक कोलकोता पहुँच जाएँगे हम अपने फैसले पर खुश थे लेकिन ट्रेन नबोद्विप
स्टेसन पर पहुँच कर रुक गई, पता करने पर पता चला की अगले स्टेसन पर गोली बम चल रहा
है लोग पटरियों पर जमा है दंगा हो रहा है, थोड़ी ही देर में रेलवे द्वारा घोषणा कर
दी गई की यह ट्रेन आगे नहीं जायेगी वापस मालदा चले जायेगी । स्टेसन् के बाहर अफरा
तफरी का माहौल था हमारे साथ बच्चे और महिलाये थी एक तो अंजान जगह फिर दंगा और ज्यादा
भड़क न जाये इस लिये हमें भी चिंता होने लगी लोग पुलिस और सरकार को गालियाँ बक रहे
थे । खैर हमने बड़े प्रयास और मिन्नतों के बाद ज्यादा भाड़ा का लालच दे कर दो मारुती
वैन वाले को कृष्नानगर स्टेसन तक पहुँचाने को राजी कर लिया, हमने अपना सामान वैन
पर लादा और स्टेसन के और निकल पड़े रस्ते में एक बहुत बड़े निर्माण पर नजर पड़ी पूछने
पर ड्राइवर ने बताया की यह इस्कॉन द्वारा खरबों की लागत से बनाया जा रहा मंदिर है जिसके उद्घाटन में बराक ओबाबा आने वाले है
। हम कृष्नानगर रेलवे स्टेसन पहुँच गए वहां से लोकल ट्रेन थोड़े थोड़े अंतराल में
उपलब्ध् थी लेकिन किसी भी ट्रेन में तिल रखने को भी जगह नहीं थी शाम होने को हो
चला था हम सबकी हालात बिगड़ने लगी थी, हमने कोई और दूसरा चारा न देख कर लोकल से ही
कोलकता पहुँचने का फैसला किया और लोकल ट्रेन में धक्का मुक्की कर सवार हो गए कही
कोई सिट खाली नहीं थी हमारे एक मित्र की डेढ़ साल की बच्ची रोये जा रही थी मैंने
उसके लिये एक युवक के सिट छोड़ने का आग्रह किया तो उसने मना कर दिया, बाद में खुद
ही एक सज्जन ने अपना सिट हमें दे दिया हम सब अपने परिवार के साथ भीड़ में सफ़र कर
रहे थे जब भी कोई सिट खाली होती हम उसे लूट कर बैठ जाते । ट्रेन की सबसे खास बात
थी हर मिनट भीड़ को चिड़ता कोई फेरी वाला बड़े मजे में अपना समान बेंचने को आता था और
लोग उसे इंटरटेन भी कर रहे थे । ट्रेन जब भी किसी आउटर पर रूकती तो हम डर जाते की
फिर कुछ तो नहीं हुआ खैर ट्रेन देर से ही सही सियालदह स्टेसन पहुँच गई और हमारे
जान में जान आई, फिर हम टेक्सी कर हावड़ा स्टेसन पहुंचे और वहां से ट्रेन द्वारा
अपने शहर को पहुंचे । इस सफ़र का अंत बड़ा ही कस्टकर रहा लेकिन हम सभी के बच्चों और
परिवार का साथ और सकुशल घरवापसी ने सब कुछ भुला दिया.....
Wow such great and effective guide
जवाब देंहटाएंThank you so much for sharing this.
Thenku AgainWow such great and effective guide
Thank you so much for sharing this.
Thenku Again