राहुल गाँधी और उनके बामपंथी मित्र एक स्वर में
कह रहे है की हमें देशभक्ति का सर्टिफिकेट बीजेपी से नहीं चाहिये, जब
देश भक्ति करना ही नहीं तो फिर सर्टिफिकेट कैसा, आपको पुरुलिया
हथियार कांड याद होगा, जब लोग शौचालय करके वापस अपने घरों को लौटे तो
सबके हाथ में AK47 रायफल थे, और उसी घटना के
बाद झारखण्ड, बंगाल नक्सलियों के गिरफ्त में पूरी तरह से जा
फँसा, मुख्य आरोपी ने सार्वजनिक रूप से बताया की केंद्र की कांग्रेसी सरकार
के कहने पर उसने हथियार गिराया, केंद्र ने बंगाल के कम्युनिस्ट शासन से
लड़ने की लिये अपने लोगो के बिच हथियार गिरवाया था, मतलब की केंद्र
सरकार फौज,पारामिलिट्री होने के बावजूद गैरकानूनी तरीके से बामपंथी सरकार से
लड़ना चाहती थी, दरअसल यह कांग्रेस और बामपंथियो की नुरा कुश्ती
थी जिसमे आजतक न जाने कितने बेगुनाहों के प्राण गये, पुलिस मरे या
नक्सली मरने वाला तो कोई गरीब ही होता है,
मजे की बात तो यह है की बामपंथ सर्वहारा वर्ग
की बात करता है, क्रांति को अपना कर्म कहता है हिंसा को अपना
रास्ता, जबकि कांग्रेस गरीबी हटावो के नाम पर राजनीती करती है और अहिंसा को
परमोधर्म कहती है, दोनों धाराये पक्ष बिपक्ष में रहे लेकिन परिणाम
शून्य रहा, क्युकी यह कोई क्रांति थी ही नहीं बस यह एक
राजनैतिक समझौता था, यह भी सब जानते है की पुरुलिया के गुनाहगार किम
डेवी को किसने छोड़ दिया था, वह उदारीकरण का शुरुवाती दौर बिदेशी
बाज़ार बस खुला ही था, संसाधनों का अत्यधिक और तेज़ी से दोहन किया जाना
था, जनता को बरगलाना था उनके आवाज को दबाना था बस डील हो गई नक्सलवाद पनप
गया, भला जान माल के सामने आम आदमी तरक्की या अन्य बातो की कब सोंचता है
कोई आवाज उठाये तो नक्सलियों का भय,
अब फिर से वापस आते है मूल मुद्दे पर, आज JNU
के
देशद्रोहियो को जो पुरे देश से लानत दी जा रही है शायद सुशिल शिंदे ने कभी इसी
हिन्दू आतंकवाद से देश को आगाह किया था, अब तो सच में ऐसा लग रहा है की बाटला
हॉउस मुठभेड़ के बाद सोनियाँ गाँधी रो ही पड़ी होंगी, आतंकी घटना के
बाद फिल्मवाले को लोकेसन दिखलाने वाले, घटना स्थल का दौरा करते हुए
असंबेदंशिलता का परिचय बार बार कपडे बदलने वाले गृह मंत्री की पार्टी का उपाध्यक्ष
कहता है की हमें देश भक्ति का सर्टिफिकेट नहीं चाहिये, मालदा की घटना
हो या फिर अमर जवान ज्योति को तोड़ने की, कांग्रेस का हाथ बामपंथियो के साथ रहा
अराजक तत्वों के साथ रहा, आम जन को धोखा देने के लिय दूर खड़ी
कांग्रेस और बामपंथ की जोड़ी घटते ताकत के मद्देनजर आज बंगाल के चुनाव में दोनों
खुले रूप से एक साथ है,
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