राजनीति के हमाम में सभी पार्टिया नंगी है,,,,,,,,,
कुछ दिन पहले राजनीतिक पार्टियों को RTI के दायरे में लाने की बात उठी थी ,सभी
पार्टियों ने एक सुर में इसका बिरोध किया था ,प्रधानमंत्री ने भी RTI कानून पर
सवाल उठाया था , जेल से चुनाव
लड़ने पर रोक और दो साल से ज्यादा सजा होने पर सदन की सदस्यता स्वत: खत्म होने वाले
फैसले के खिलाफ भी सभी पार्टियों में सहमती है, हाल
के फैसलो के खिलाफ संसद के मानसून सत्र
में विधेयक लाने के लिए सरकार तैयार भी है, कांग्रेस, भाजपा, वाम दल, सपा, राजद समेत सभी राजनीतिक दलों ने चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से जल्द से
जल्द जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन संबंधी विधेयक लाने की मांग की। संसद और
विधायिका की सर्वोच्चता कायम रखने के मुद्दे पर भी सहमती दिखी,,,,,,
हमारे
नेता लोग अपने फायदे के लिए तुरंत एक हो जाते है ,शायद ये लोग ही एस देस के सबसे
कट्टर जतिबादी लोग है (नेता जात ),देशहित से ज्यादा स्वहित की चिंता इनमे ज्यादा
दिखती है ,ये देस को जबरदस्ती संसद और बिधायिका की सर्वोचता बताने में लगे है ये
इनका अहंकार लगता है ,जबकि देसवासियो में इनकी बिस्वस्नियता घटी है इनका कोई
रिश्तेदार सेना में सेवा नहीं देता,,,,,,, अभी तेलंगाना राज्य को बाटने के प्रस्ताव पर
मशहुर लेखिका शोभा डे ने एक ट्विट किया..... मुंबई को भी महारास्ट्र से अलग कर
देना चाहिए हलाकि बाद में उन्होंने स्पस्ट किया ये उनका ब्यंग था , पर क्या मजाल
जो इस देस में कोई गैर राजनीतिक वक्ति राजनीतिक बयान दे दे , गज़ब की एकता है इनका
आपस में कोई इनके छेत्र में कोई अतिक्रमण नहीं कर सकता | ये देस तो सिर्फ नेताओ का
है वो इसे तोरे, फोरे, लुट ले या बेच दे , गैर राजनीतिक लोग इसपर बोलने वाले होते कोन
है,,,,,,,,,,लेकिन ये राजनीतिक लोग देस के हर बिसय पर बयान दे सकते है, ये
महामानवों की जमात सबसे कम पढ़े लिखे होते है( सभी नहीं पर ज्यादातर ) पर होते है सर्वज्ञाता.....
ये हर मुदे पर बोल सकते है ,ये क्रिकेट, हॉकी ,कैग, प्रकीर्तिक-आपदा ,बाढ़ ,सुखा
,धर्म ,जात, जैसी हर मामलो में बिसेसग्य होते है ,इनके बिना इस देस में कुछ हो ही
नहीं सकता रास्त्रमंडल खेल हो या कोई खेलो का संघ हो सभी जगह इनकी उपस्तिथि है, देस
हित के नाम पर ही सिर्फ इनमे एकता नहीं होती ,समझ में नहीं आता लोग क्या करे अगर
एक दल की बात होती तो उससे बिरोध करते पर यहाँ तो सभी नंगे है ...................
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