सोमवार, 8 जून 2015

झारखण्ड बंद के मद्देनजर हर चौक चौराहे पर पुलिस की ड्यूटी लगी थी ऐसा ही हमारे आदित्यपुर चौक का भी हाल था, हम अपने दोस्तों के साथ गप्पे लड़ा रहे थे तभी एक बुजुर्ग अपने स्कूटर से गिर पड़े हम जब तक उनकी मदद को आगे बढ़ते उससे पहले हीं चार पुलिसकर्मी उनके सहायता को दौर पड़े उन्हों ने बुगुर्ग को आदरपूर्वक सड़क से किनारे लाया उन्हें सहारा दिया उनका स्कूटर स्टार्ट करवाया, पुलिस वालो को इतना करते देख हमें भी बड़ा अच्छा लगा और हम इनकी प्रशंसा करने लगे इसी बिच हमारे एक मित्र ने बताया की उसके करीबी पहचान के एक पुलिस इंस्पेक्टर हैं जिनकी काफी बोल्ड छवी है उन्हों ने अपने बैठक में अपनी दो तस्वीरे लगा रक्खी है एक तस्वीर तब की है जब उन्हों ने बिभाग को ज्वाइन किया था और दूसरी हाल ही की है
एक दिन मेरा मित्र देर शाम को उनके घर पहुंचा इंस्पेक्टर साहब घर पर ही थे और थोड़ी चढ़ा रखी थी, उन्होंने उसे बैठक में बैठाया हाल चाल पूछा और इधर उधर की बाते करने लगे बातचीत के क्रम में मेरे मित्र ने उनका ध्यान उनके तस्वीरों की ओर दिलाते हुए कहा की पुराने तस्वीर में आपकी क्या स्मार्टनेस और मासूमियत दिखती थी और अभी वाले में खूब रौब झलकता है साहब ने कहा ठीक कहते हो ये बेचारा नया इंस्पेक्टर था जिसने सर्विस ज्वाइन करते वक़्त कसम खाया थे की किसी के साथ अन्याय नहीं होने दूंगा सबको आदर सम्मान दूंगा रिश्वत नही लूँगा किसी  के दबाव में गलत नहीं करूँगा, और दूसरी तस्वीर उस कमीने इंस्पेक्टर की है जो ज्यादातर गलत ही करता है जो बिना पैसे के किसी बात को जल्द नहीं सुनता इसे हर हाल में पैसा चाहिए चाहे अपना घर गिरवी रख के दो इसे अपने अधिकारियो को भी तो देना पड़ता है हर वक़्त दबाव रहता है नेता या अधिकारियों का ज्यादातर गलत करने का ही पैरवी आता है बिनम्रता किसे कहते है भूल गया तभी तो लोगो में खौफ घरता है,

बात तो थी ऐसे ही आईगई वाली लेकिन एक कड़क पुलिस वाले की लाचारी दिखी पता नहीं उनसे संवेदना रखूं या उनके मौजूदा कार्यकलापो के लिये अन्य पुलिसवालों की तरह इनसे भी नफरत करूँ 

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