गुरुवार, 3 नवंबर 2016

रेल यात्री के अधिकार,

रेलवे स्टेशन पर समय सारणी का प्रदर्शन-
रेल अधिकारी हर स्टेशन पर समय सारणी तथा किराया चार्ट हिंदी, अंग्रेजी और संबंधित प्रांतीय भाषाओं में लगाते हैं।
रेल टिकट पर सूचना का विवरण-
रेल टिकट पर टिकट जारी करने की तिथि, यात्रा की श्रेणी, जाने और पहुंचने का स्थान, तथा राशि का विवरण होता है।
टिकट या पास का प्रदर्शन-
यात्रियों की जिम्मेदारी है कि वह यात्रा के दौरान या यात्रा समाप्त होने पर रेल अधिकारियों द्वारा मांगे जाने पर टिकट या पास की जांच कराएं।
रेल अधिकारी से अनुमति लेने के बाद कोई भी व्यक्ति रेल में यात्रा कर सकता है, लेकिन उसे यात्रा के दौरान पूरे किराए का भुगतान करना होगा।
संक्रामक रोग से ग्रस्त मरीज पर रोक-
संक्रामक रोग से ग्रस्त व्यक्ति रेलवे अधिकारी की आज्ञा के बिना रेल में यात्रा नहीं कर सकता है । वह अधिकारी मरीज के लिए अलग स्थान का प्रबंंध करेगा तथा रेलवे द्वारा निर्धारित अन्य शर्तों का भी पालन करेगा। यदि कोई ऐसा व्यक्ति बिना उचित आज्ञा के सफर करता है तो उस व्यक्ति और उसके साथी के टिकट को जब्त कर लिया जायेगा तथा उन्हें रेल से उतार दिया जायेगा।
अग्रिम आरक्षण की व्यवस्था-
यात्री भारतीय रेल के 520 कंप्यूटर आरक्षण केंद्र में से किसी भी केंद्र से किसी भी रेल के लिये कहीं से भी कहीं तक के लिेए टिकट आरक्षित करवा सकता है। यात्री यात्रा की तिथि को छोडक़र 90 दिन पहले टिकट आरक्षित करवा सकता है । हालांकि किसी बीच के स्टेशन पर जहां से वह रेल गुजरती है 61 दिन पहले ही आरक्षण हो सकता है ।
रेल में पहले दर्जे और वातानुकूलित पहले दर्जे के टिकट पर जहां केवल कन्फर्म लिखा होता है वहीं अन्य टिकटों पर डिब्बा तथा सीट नंबर भी लिखा होता है। जिस यात्री का टिकट कन्फर्म या आरएसी नहीं है , वह यात्री आरक्षित डिब्बे में सफर नहीं कर सकता है । ऐसा करने पर टीटीई उस पर जुर्माना कर सकता है और उसे रेल से भी नीचे उतार सकता है। यात्री अपने टिकट की ताजा जानकारी के लिए नजदीक के कंप्युटराइज्ड रेलवे स्टेशन से संपर्क कर सकता है। या फिर प्रमुख स्टेशनों पर प्राप्त इंटरएक्टिव वॉयस रेस्पॉन्स सिस्टम का फायदा उठा सकता है। इस सेवा के जरिए वह दस अंक के पीएनआर नंबर को कोट करके टिकट के स्टेट्स का पता लगा सकता है । 5 वर्ष से 12 वर्ष तक के बच्चों का आधा टिकट लगता है । ऐसे टिकटों पर आरक्षण भी कराया जा सकता है। 5 वर्ष से छोटे बच्चे का टिकट नहीं लेना होता है।आप यात्रा से चौबीस घंटे पहले तक अपने आरक्षित टिकट में परिवार-जनों के नाम बदल सकते हैं। इसके लिए आरक्षण पर्यवेक्षक को आवेदन करना होगा। कोई भी यात्री ट्रेन छूटने से 6 पहले  अतिरिक्त भुगतान करके अपनी यात्रा की तिथि आगे बढ़ा सकता है। जबकि यात्रा को टालने के लिए ट्रेन छूटने के समय से 24 घंटे पहले टिकट को समर्पित करना पड़ता है।
अधिकृत रेलवे एजेंटों को रेल विभाग द्वारा पहचान-पत्र दिए जाते हैं। वो आरक्षण आदि सेवाओं के लिए केवल निर्धारित शु्ल्क ही ले सकते हैं। सुपरफास्ट गाडिय़ों में कुछ अतिरिक्त अधिभार पड़ता है। इन गाडिय़ों की तादाद प्राय 2 से शुरु होती है। अगर कोई यात्री अपना आरक्षित टिकट घऱ पर भूला आया है तो उसे स्टेशन मास्टर को यह बात बताकर ट्रेन पर चढ़ जाना चाहिए। स्टेशन मास्टर अगले स्टेशन तक यह संदेश पहुंचा देगा जहां उक्त यात्री को नया टिकट दिया जा सकता है। अगर आपका आरक्षण ट्रेन के पहले स्टेशन से है और आप आगे के किसी स्टेशन से बैठना चाहते हैं तो आप शुरु के स्टेशन पर ट्रेन चलने से चौबीस घंटे पहले सूचना देकर ऐसा कर सकते हैं। अगर  संभव हो तो आरक्षण कराते समय ही यह सूचना दे दें। आपको यात्रा के उसे हिस्से के लिए कोई रकम वास नहीं मिलेगी, जिसकी यात्रा आपने नहीं की है। अगर आपका टिकट 500 किलोमीटर से ज्यादा लंबे सफर का है तो आप बीच में दो दिन यात्रा रोककर बाद में फिर आगे की यात्रा कर सकते हैं। पहला ब्रेक कम से कम 300 किलोमीटर की यात्रा के बाद होना चाहिए । आप टिकट चेक करने वाले स्टाफ के पास जाकर अपनी यात्रा के गन्तव्य स्थान के समाप्त होने से पहले या फिर समाप्त होने के बाद भी यात्रा का विस्तार कर सकते हैं। आपसे इसका किराया लिया जायेगा। अगर उच्च श्रेणी में सीट खाली है तो आप नीचे की श्रेणी के लिए आरक्षित टिकट को उच्च श्रेणी के लिए अपग्रेड करवा सकते हैं। इसके लिए आपको आरक्षण चार्ज तथा जो अंतर दोनों श्रेणी के किराए में है वह वसूला जायेगा।
आरक्षित टिकट के खो जाने पर भी आप उसी आरक्षण पर यात्रा कर सकते हैं। इसके लिए आपको अतिरिक्त किराया देना होगा-
500 किलोमीटर तक के सफर के लिए 25 फीसदी किराया।
500 किलोमीटर से ज्यादा सफर करने पर 10 फीसदी किराया, लेकिन 500 किलोमीटर के सफर के किराए की 25 फीसदी राशि के बराबर न्यूनतम किराया आपको अवश्य देना होगा।
राजधानी एक्सप्रेस जैसी किराए के भिन्न स्वरूप वाली गाडिय़ों में किराये का 25 प्रतिशत देना होगा। चाहे सफर कितनी ही दूरी का हो।
आरक्षण हस्तांतरिणीय नहीं है। इसलिये किसी दूसरे के नाम आरक्षित टिकट पर यात्रा नहीं करें।
आरक्षण न होने पर व्यवस्था-
अगर आपको जल्दी से गाड़ी पकडऩी है तो आप केवल प्लेटफॉर्म टिकट खरीदकर ट्रेन में चढ़ सकते हैं, लेकिन अपना टिकट खरीदने के लिए आपको ट्रेन में टीटीई के पास खुद जाना होगा।
अगर आपका नाम आरएसी सूची में तो आप आरक्षित डिब्बे में चढ़ सकते हैं और आपको बैठने की सीट अवश्य मिलेगी। बर्थ खाली होने पर प्राथमिकता क्रम के अनुसार आपको बर्थ मिल सकेगी, लेकिन अगर आपका टिकट प्रतीक्षा सूची का है तो आपको डब्बे में जाने का अधिकार नहीं है।
स्रोत:-बिकासपीडिया

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