गुरुवार, 15 अगस्त 2013

काहे को ब्याहे बिदेस ,,,,,,अमीर ख़ुसरो

काहे को ब्याहे बिदेस
अरे, लखिया बाबुल मोरे
भैया को दियो बाबुल महले दो-महले
हमको दियो परदेस
अरे, लखिया बाबुल मोरे
हम तो बाबुल तोरे खूँटे की गैया
जित हाँके हँक जईहैं
अरे, लखिया बाबुल मोरे
हम तो बाबुल तोरे बेले की कलियाँ
घर-घर मांगे हैं जईहैं
अरे, लखिया बाबुल मोरे
कोठे तले से पलकिया जो निकली
बीरन में छाए पछाड़
अरे, लखिया बाबुल मोरे
हम तो हैं बाबुल तोरे पिंजरे की चिड़िया
भोर भये उड़ जईहैं
अरे, लखिया बाबुल मोरे
तारों भरी मैनें गुड़िया जो छोडी़
छूटा सहेली का साथ
अरे, लखिय बाबुल मोरे

डोली का पर्दा उठा के जो देखा
आया पिया का देस
अरे, लखिया बाबुल मोरे

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें