सोमवार, 8 जुलाई 2013

राजनीति

अक्सर हम समाचार पत्रों में पढ़ते है या टीवी चैनलों में देखते सुनते है .......
गरीबी पर राजनीति नहीं होनी चाहिये ,
बेरोज़गारी पर राजनीति नहीं होनी चाहिये,
प्रकिर्तिक आपदा पर राजनीति नहीं होनी चाहिये,
बिदेसी मामलो पर राजनीति नहीं होनी चाहिये,
आतंकवाद पर राजनीति नहीं होनी चाहिये,
नक्सलवाद पर राजनीति नहीं होनी चाहिये,
धर्म पर राजनीति नहीं होनी चाहिये,
सेना , पुलिस के मामलो पर राजनीति नहीं होनी चाहिये,
बिदेसी मामलो पर राजनीति नहीं होनी चाहिये,
क्रिकेट पर राजनीति नहीं होनी चाहिये,
भूख कुपोसन पर राजनीति नहीं होनी चाहिये,

तो फिर राजनीतिक पार्टिया है किस लिय,ये और कोई काम तो करते नहीं राजनीति कैसे नहीं करेंगे ,यही लोग तो है जो बिसुध्ह रूप से अपना काम करते है, राजनीति करने का काम| और फिर देखिये इस मिडिया को हमें क्या समझाती है, हर उस बिसय पर राजनीति नहीं होनी चाहिए जहां सरकारे बिफल है ,हमारी मिडिया सरकार के कुकर्मो का वकालत करती है ,वो हमे भरमाती है मुद्दों से ,ये झूठे मुद्दे बनाती है ,ये सनसनी फैलाती है ,रिपोर्टर में एक्टर दीखता है ,ये दम्भी हो गए है ,सारे बड़े कार्पोरेट घराने मिडिया हाउस खोले बैठे है , ये सेवा भाव नहीं सिर्फ बिजनेस है जहां पावर और पैसा दोनों है ,मिडिया के दम पर ये राजनीतिक पार्टियों तक से मोलभाव करते है ,यही वज़ह है की रोज़ एक नया चैनल खुल रहा है,सेवा भाव और सामाजिक कार्यो के लिए नहीं पैसे कमाने के लिए, इनके खुद के महकमे में तो और भी जयादा भ्रष्टाचार और शोसन है ,लोगो को रोज़गार चाहिए और इन्हें मुफ्त में पत्रकार ,ये पत्रकारों को जितना वेतन देते है, उतने में आज के वक्त में जेब भी खर्च न निकले ,तो फिर पत्रकार खबरे छापने के लिए लोगो से पैसे मांगते है, छोटे नेता या बयपारी पैसा देते भी है ,ये इलाके में होने वाले गलत कार्यो के बदले में पैसे की उगाही करते है ,ये ब्लैकमेलिंग तक से बाज़ नहीं आते ,बड़े स्तर पर तो इससे भी बुरा हाल है,समझ में नहीं आता इक चैनेल कहता है किसी तरह का समाचार चलवाना या रुकवाने की कोई बात करे तो हमें खबर करे ये चेतावनी है या निमंत्रण , सभी चैनलों या समाचार पत्रों की बुनियादी बाते एक जैसी ही होती है ,इनका दिवालियापन ही है की ये समाचार में भी मनोरंजन करवाते है ,जनता से जुड़े मुद्दे नाम मात्र के उठते है ,राजनीतिक खबरो की प्रमुखता होती है ,पेड न्यूज़ की भरमार है फिर भी कुछ अच्छे लोग है इस पेसे में जिनके वज़ह से पत्रकारिता को इज्ज़त के नज़र से देखा जाता है |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें