रविवार, 14 जुलाई 2013

हमारा बुध्हीजीवी बर्ग हमेसा ही कायर और धूर्त रहा है

इस देस में जयादातर बुध्हीजीवी बर्ग हमेसा ही कायर और धूर्त रहा है ये लोग अपने देस और मात्रभूमि से गद्दारी करने में अपना दिमाग जयादा खपाते है, इनका समाज कम पढ़ा लिखा,पिछरा और धर्म दयालु है ,इसी में इनकी तरक्की है ,अगर हमारे पूर्वजो के समय से ही इस तरह के लोग समाज और अपने धर्म के बारे में जरा भी सोचते तो हमारे देस में कई तरह की बुराईया होती ही नही ,ये बोद्धिक स्तर पर साहसी होते है इस लिए देवत्वं का भय इन्हें नहीं होता,ये इसी दुनिया में अपना देवता खोज लेते है और उसका भक्ति करते है उसके लिए ये दलीले गढ़ते है , देस में कथित सेकुलरओ को सेकुलरबाज़ी की इतनी आदत पर गई है की ये खूद को VIP समझने लगे , इन्हें इससे आगे कुछ दीखता ही नहीं है ,ये अंधे लोग सबको अँधा समझते है ,इसलिय कोई जो लिक से हट कर कुछ भी बोल दे ये गरे मुर्दे उखार उखार कर उसका  काम तमाम कर देंगे. पहले इन्हें चाटुकार भी कहा जाता था ,ये लोग अक्सर खानदानी होते है ,इनका सिधांत होता है की जिस सीडी से ऊपर चढो ऊपर चढ़ने के बाद उसे ऊपर खींच लो ताकि दूसरा ऊपर ना पहुच पाए, ये अन्दर से हीन भावना से ग्रसित और भयभीत होते है, सता के केंद्र बदलते ही अक्सर इनका सिद्धांत बदल जाता है ,अपने से कमजोर को ये हिन् भावना से देखते है और दूर देस के लोगो, बिद्वानो का ये तलवा चाटते है ,इनका रासट्रवाद में कोई भरोसा नहीं होता, पर सत्ता के सबसे जयादा यही लोग मज़े लेते है ,ये चारणवादी लोग कभी बर्दास्त नहीं कर सकते कोई आम आदमी आगे बढ़ कर लोगो को एक कर दे और कोई लोकनायक बने, ये अवतार गढ़ते रहते है ,और चालीसा गाते है ,कर्म करने के वक़्त ये लोग गायब हो जाते है ,टिप्पणियाँ करने में आगे रहते है ,इनका इस देस में सबसे मजबूत गठबंधन है ये दलों से ऊपर है ,ये इतिहास को झुट्लाते है, और हमारे अन्दर हिन् भावना को भरने का काम करते है इनके अनुसार हमारे धर्म और संस्कृति में गर्व करने लायक कुछ भी नहीं है हम अधम लोग है ,इन्ही खुबिओ के कारन अब तक सरकारे इन्हें हमारी पाठ्यक्रम और शीकछा का ठेका देती रहती है ,और इन्ही कारणों से प्रवावित हो कर बाकि इन्हें अपना आदर्श मानते है पर देस के हे महान बामपंथियो ,समाजवादियो,कांग्रेसियों,झूठे इतिहासकारों. अब रस्त्र्वादियो का का वक्त आने वाला है सब लोग आप को पहचान गए है |

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